शायद से में खुदी में कही
उलज्सी गई हूं मै.. न जाने
कब कहा खुद को पाती हूं में,
कभी तो शहर की हो जाती हूँ
तो कभी गाँव की हो जाती हूं ,
पैरों में होते हैं जख़्म
तो बिना पाँव की हो जाती हूँ
कभी धूप की हो जाती हूँ
तो कभी छाव की हो जाती हूँ,
तैरता हूँ ज़िन्दगी की धार में
तो बिना नाव की हो जाती हूँ
मिलती थी पहले सबसे
अब कहीं खो सी जाती हूँ,
जुदा होकर रहे जो घर से
मैं वो अलगाव सी हो जाती हूँ
कुछ ख़ामियां भी है मुझमें
अब जान लिया है मैंने,
तो अब गुमनामी में भी यूँ ही
गुमनाम सी हो जाती हूँ
कभी होती हूँ उनकी
कभी अपने आप की हो जाती हूँ,
दर्द में जो शून्य सा हो जाये
कभी वो घाव सा हो जाती हूँ.!
@_kuchbaateindilki_
©Reena Patel
#खुद_की_तलाश
#खुदी_के_अल्फाज
#Nojoto
#kuchbaateindilki💕💕
#Reenapatel