डायर के हुक्म को धुआं करनी की सबने ठानी थी मिलकर ब | हिंदी Poetry Vide

"डायर के हुक्म को धुआं करनी की सबने ठानी थी मिलकर बैसाखी का त्यौहार मनाए सबकी जुबानी थी क्या बच्चे , क्या बूढ़े सब खुशियों में झूम रहे इंकलाब के नारे लगा लगा कर गोरों को भून रहे पिंजरे में कैद कर डायर ने हुक्म चलाया पल में धरती पर लाशे, आसमान से गोली का शोर आया निहत्ये पर उस हत्यारे ने जुल्म बरसाया बेबसी इतनी, कोई भी बच ना पाया त्यौहार के दिन खूनी इतिहास रचा नाम जिसका "जलियावला कांड"पड़ा। हे नमन! उद्यम सिंह पराकर्मी lको गोली का जवाब गोली से देकर आया हत्यारे को।। ©Meri Kalam "

डायर के हुक्म को धुआं करनी की सबने ठानी थी मिलकर बैसाखी का त्यौहार मनाए सबकी जुबानी थी क्या बच्चे , क्या बूढ़े सब खुशियों में झूम रहे इंकलाब के नारे लगा लगा कर गोरों को भून रहे पिंजरे में कैद कर डायर ने हुक्म चलाया पल में धरती पर लाशे, आसमान से गोली का शोर आया निहत्ये पर उस हत्यारे ने जुल्म बरसाया बेबसी इतनी, कोई भी बच ना पाया त्यौहार के दिन खूनी इतिहास रचा नाम जिसका "जलियावला कांड"पड़ा। हे नमन! उद्यम सिंह पराकर्मी lको गोली का जवाब गोली से देकर आया हत्यारे को।। ©Meri Kalam

#JallianwalaBagh

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