साधारण नहीं है यह जंग जिंदगी का
गुजरने पड़ते हैं कई बलिदानों से होकर
बलिदान करना पड़ता है स्वयं का
स्वयं के सुखों का
सरल नहीं है विजय पथ पर अग्रसर होना
मंजिल तक पहुंचने के लिए
करना पड़ता है बहुत बलिदान
स्वयं करना पड़ता है स्वयं की के
हाथों से स्वयं के सर्वस्व का सिरदान
साधारण नहीं है यह जंग जिंदगी
लड़ना पड़ता है स्वय को
मारना पड़ता है स्वयं के अहम को
रोज स्वयं की चुनौतियां तुम स्वयं होंगे
ऐसे नहीं आता सवेरा खुशियों का
छोड़ना पड़ता है स्वयं के सिद्धांतों को
अनंत बलिदानों से होता है सवेरा मंजिल का
साधारण नहीं है यह जंग जिंदगी का
गौरव मिश्रा
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©Garb pandit777
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