तब से यूं मैं खुद की नजरों में खलने लगा___ जबसे मे | हिंदी शायरी
"तब से यूं मैं खुद की नजरों में खलने लगा___
जबसे मेरा कोई अपना मुझसे जलने लगा___!
अब तक हो जाती थी मुलाकात कभी कबार उनसे_जब चला पता कि वह जला_ तो मैं बार-बार मिलने लगा_।।"
तब से यूं मैं खुद की नजरों में खलने लगा___
जबसे मेरा कोई अपना मुझसे जलने लगा___!
अब तक हो जाती थी मुलाकात कभी कबार उनसे_जब चला पता कि वह जला_ तो मैं बार-बार मिलने लगा_।।