उसकी रौनक से रोशन हो गई सारी फिज़ा, खुदा का भेजा ह | हिंदी शायरी

"उसकी रौनक से रोशन हो गई सारी फिज़ा, खुदा का भेजा हुआ कोई जवाब हो जैसे। चमक उसकी ऐसी कि रात भी शरमा गई, सितारों के बीच वो माहताब हो जैसे। वो आया तो अंधेरों में उजाला बिखर गया, रात की तन्हाई में आफताब हो जैसे। उसकी बातों में जैसे कोई जादू सा घुला, हर अल्फ़ाज़ उसका इश्क़ का हिसाब हो जैसे। नज़रों में बसाए एक गहरी सी दुनिया, हर राज़ से भरी एक किताब हो जैसे। वो करीब हो तो वक्त थम सा जाता है, धड़कनों में बसी कोई ख़्वाहिश नायाब हो जैसे। उसकी मुस्कान से बहारें खिल उठीं हर ओर, फूलों की खुशबू का एक गुलाब हो जैसे। ©नवनीत ठाकुर"

 उसकी रौनक से रोशन हो गई सारी फिज़ा,
खुदा का भेजा हुआ कोई जवाब हो जैसे।

चमक उसकी ऐसी कि रात भी शरमा गई,
सितारों के बीच वो माहताब हो जैसे।

वो आया तो अंधेरों में उजाला बिखर गया,
रात की तन्हाई में आफताब हो जैसे।

उसकी बातों में जैसे कोई जादू सा घुला,
हर अल्फ़ाज़ उसका इश्क़ का हिसाब हो जैसे।

नज़रों में बसाए एक गहरी सी दुनिया,
हर राज़ से भरी एक किताब हो जैसे।

वो करीब हो तो वक्त थम सा जाता है,
धड़कनों में बसी कोई ख़्वाहिश नायाब हो जैसे।

उसकी मुस्कान से बहारें खिल उठीं हर ओर,
फूलों की खुशबू का एक गुलाब हो जैसे।

©नवनीत ठाकुर

उसकी रौनक से रोशन हो गई सारी फिज़ा, खुदा का भेजा हुआ कोई जवाब हो जैसे। चमक उसकी ऐसी कि रात भी शरमा गई, सितारों के बीच वो माहताब हो जैसे। वो आया तो अंधेरों में उजाला बिखर गया, रात की तन्हाई में आफताब हो जैसे। उसकी बातों में जैसे कोई जादू सा घुला, हर अल्फ़ाज़ उसका इश्क़ का हिसाब हो जैसे। नज़रों में बसाए एक गहरी सी दुनिया, हर राज़ से भरी एक किताब हो जैसे। वो करीब हो तो वक्त थम सा जाता है, धड़कनों में बसी कोई ख़्वाहिश नायाब हो जैसे। उसकी मुस्कान से बहारें खिल उठीं हर ओर, फूलों की खुशबू का एक गुलाब हो जैसे। ©नवनीत ठाकुर

#रात में महताब

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