वो आखिरी मुलाकात थी, दिसंबर की सर्द रात थी, जब म | हिंदी Poetry

"वो आखिरी मुलाकात थी, दिसंबर की सर्द रात थी, जब मिले हमको वो, चांदनी आस पास थी, बोले वो बाते बहुत , है पर कहूँ क्या, मानोगे एक बात, बताऊ क्या, है ईश्क तुमको भी, है ईश्क मुझको भी, शर्त ईश्क की इतनी सी है, तुम करना ईश्क, मे दोस्त बोलूँगी, तुम समझना ईश्क ही, दोस्त नही, क्या ख्याल है, बोलते क्यो नही, ये दस्तूर ईश्क का मंजूर नही, माना तुम सही, मे गलत हु, मे बस तुम्हारी दोस्त हु, सोचना मत कभी, आगे इसके, चाहे मे कहु, मुझे ईश्क है तुमसे, नाम लिया मेरा, दोस्ती भी जायेगी, चली हवा, कुछ धीरे से, नींद से उठा,मे पसीने मे, जाने, वो मानो पास थी, आँखों मे उसके हाँ थी, सपना, था महज वो टूट गया, वो जाने वाला, इक साल पहले चला गया, ©अजनबी"

 वो आखिरी मुलाकात थी, 
दिसंबर की सर्द रात थी, 
जब मिले हमको वो, 
चांदनी आस पास थी, 
बोले वो बाते बहुत , है पर कहूँ क्या, 
मानोगे एक बात, बताऊ क्या, 
है ईश्क तुमको भी, है ईश्क मुझको भी, 
शर्त ईश्क की इतनी सी है, 
तुम करना ईश्क, मे दोस्त बोलूँगी, 
तुम समझना ईश्क ही, दोस्त नही, 
क्या ख्याल है, बोलते क्यो नही, 
ये दस्तूर ईश्क का मंजूर नही, 
माना तुम सही, मे गलत हु, 
मे बस तुम्हारी दोस्त हु, 
सोचना मत कभी, आगे इसके, 
चाहे मे कहु, मुझे ईश्क है तुमसे, 
नाम लिया मेरा, दोस्ती भी जायेगी, 
चली हवा, कुछ धीरे से, 
नींद से उठा,मे पसीने मे, 
जाने, वो मानो पास थी, 
आँखों मे  उसके हाँ थी, 
सपना, था महज वो टूट गया, 
वो जाने वाला, इक साल पहले चला गया,

©अजनबी

वो आखिरी मुलाकात थी, दिसंबर की सर्द रात थी, जब मिले हमको वो, चांदनी आस पास थी, बोले वो बाते बहुत , है पर कहूँ क्या, मानोगे एक बात, बताऊ क्या, है ईश्क तुमको भी, है ईश्क मुझको भी, शर्त ईश्क की इतनी सी है, तुम करना ईश्क, मे दोस्त बोलूँगी, तुम समझना ईश्क ही, दोस्त नही, क्या ख्याल है, बोलते क्यो नही, ये दस्तूर ईश्क का मंजूर नही, माना तुम सही, मे गलत हु, मे बस तुम्हारी दोस्त हु, सोचना मत कभी, आगे इसके, चाहे मे कहु, मुझे ईश्क है तुमसे, नाम लिया मेरा, दोस्ती भी जायेगी, चली हवा, कुछ धीरे से, नींद से उठा,मे पसीने मे, जाने, वो मानो पास थी, आँखों मे उसके हाँ थी, सपना, था महज वो टूट गया, वो जाने वाला, इक साल पहले चला गया, ©अजनबी

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