मच्छर दिखने में छोटा हूँ मै मुझसे डरते लोग पीता ह | हिंदी कविता

"मच्छर दिखने में छोटा हूँ मै मुझसे डरते लोग पीता हूँ सबका लहू फैलाता हूँ रोग मच्छरदानी में छुपते उसमें भी घुस जाता उन्हें चुनौती दे करके जबरन सुई लगाता जिसके कानों में जाकर गाता हूँ मैं गाना उसका गहरी नींद में मुश्किल है सो पाना करतब मेरा देख कर कोई बजाता ताली कोई गुस्से में आकर देने लगता गाली बेखुद फर्क नहीं पड़ता इन बातों का मुझपर सबके घर में जाता हूँ शीशमहल या छप्पर ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 मच्छर

दिखने में छोटा हूँ मै
मुझसे डरते लोग
पीता हूँ सबका लहू
फैलाता हूँ रोग

मच्छरदानी में छुपते
उसमें भी घुस जाता
उन्हें चुनौती दे करके
जबरन सुई लगाता

जिसके कानों में जाकर
गाता हूँ मैं गाना
उसका गहरी नींद में
मुश्किल है सो पाना

करतब मेरा देख कर
कोई बजाता ताली
कोई गुस्से में आकर
देने लगता गाली

बेखुद फर्क नहीं पड़ता
इन बातों का मुझपर
सबके घर में जाता हूँ
शीशमहल या छप्पर

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

मच्छर दिखने में छोटा हूँ मै मुझसे डरते लोग पीता हूँ सबका लहू फैलाता हूँ रोग मच्छरदानी में छुपते उसमें भी घुस जाता उन्हें चुनौती दे करके जबरन सुई लगाता जिसके कानों में जाकर गाता हूँ मैं गाना उसका गहरी नींद में मुश्किल है सो पाना करतब मेरा देख कर कोई बजाता ताली कोई गुस्से में आकर देने लगता गाली बेखुद फर्क नहीं पड़ता इन बातों का मुझपर सबके घर में जाता हूँ शीशमहल या छप्पर ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#मच्छर

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