बेच रहे हैं कुछ व्यापारी जहां देश को और ग्राहक उनस | हिंदी Poetry Vide

"बेच रहे हैं कुछ व्यापारी जहां देश को और ग्राहक उनसे भी बड़े हैं, कितना किसको है प्यार वतन से है सबको पता बस अपना नाम चमकाने की होड़ में सब खड़े हैं, बस तस्वीरों में ही आते हैं नज़र अब तो कभी अपने वतन के लिए जो लड़े हैं, दूर नहीं गुलामी कुछ दशकों की बात है हम उस बर्बादी की आखिरी छोर पर खड़े हैं.. ©Balwinder Pal "

बेच रहे हैं कुछ व्यापारी जहां देश को और ग्राहक उनसे भी बड़े हैं, कितना किसको है प्यार वतन से है सबको पता बस अपना नाम चमकाने की होड़ में सब खड़े हैं, बस तस्वीरों में ही आते हैं नज़र अब तो कभी अपने वतन के लिए जो लड़े हैं, दूर नहीं गुलामी कुछ दशकों की बात है हम उस बर्बादी की आखिरी छोर पर खड़े हैं.. ©Balwinder Pal

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