गुलजार साहब की कविता यह कविता आज बहुत याद आ

"' गुलजार साहब की कविता यह कविता आज बहुत याद आ रही है,,,, "बे वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है" "मोत से आंखे मिलाने की जरूरत क्या है" "सब को पता है बाहर की हवा है कातिल" "यू ही कातिलो से उलझने की जरूरत क्या है" "जिंदगी एक नेमत है उसे सम्भाल कर रखो" "कब्रगाहों को सजाने की जरूरत क्या है" "दिल बहलाने के लिए घर मे वजह है काफी" "यू ही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है" -----------✍️ ©Alkesh Chouhan shayar,,🖋️"

 ' गुलजार साहब की कविता यह कविता   
 आज बहुत याद आ रही है,,,,  

"बे वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है"
"मोत से आंखे मिलाने की जरूरत क्या है"

"सब को पता है बाहर की हवा है कातिल"
"यू ही कातिलो से उलझने की जरूरत क्या है"

"जिंदगी एक नेमत है उसे सम्भाल कर रखो"
"कब्रगाहों को सजाने की जरूरत क्या है"

"दिल बहलाने के लिए घर मे वजह है काफी"
"यू ही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है"
                                       -----------✍️

©Alkesh Chouhan shayar,,🖋️

' गुलजार साहब की कविता यह कविता आज बहुत याद आ रही है,,,, "बे वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है" "मोत से आंखे मिलाने की जरूरत क्या है" "सब को पता है बाहर की हवा है कातिल" "यू ही कातिलो से उलझने की जरूरत क्या है" "जिंदगी एक नेमत है उसे सम्भाल कर रखो" "कब्रगाहों को सजाने की जरूरत क्या है" "दिल बहलाने के लिए घर मे वजह है काफी" "यू ही गलियों में भटकने की जरूरत क्या है" -----------✍️ ©Alkesh Chouhan shayar,,🖋️

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