नहीं डरती किसी शय से किसी इम्तेहान से वो,डट कर खड | हिंदी मोटिवेशनल

"नहीं डरती किसी शय से किसी इम्तेहान से वो,डट कर खड़ी होती है उन्हें आता है,निपट लेना वो बचपन से लड़ी होती हैं उन्हें खुरचनो में मिली होती हैं कदर और मोहब्बत शायद वो तंज़ ओ रंज में पली होती है बहुत से ज़वाब तर्क कर तो सकती हैं मगर अफ़सोस तहज़ीब से बंधी होती हैं चढ़ जाती है, झूठी शान,खोखली इज्ज़त की बली वो लड़कियां,अक्सर घरों में बड़ी होती हैं.... ©ashita pandey बेबाक़"

 नहीं डरती किसी शय से 
किसी इम्तेहान से
वो,डट कर खड़ी होती है
उन्हें आता है,निपट लेना
वो बचपन से लड़ी होती हैं 
उन्हें खुरचनो में मिली होती हैं 
कदर और मोहब्बत शायद
वो तंज़ ओ रंज में पली होती है
बहुत से ज़वाब तर्क कर तो सकती हैं 
मगर अफ़सोस 
तहज़ीब से बंधी होती हैं 
चढ़ जाती है,
झूठी शान,खोखली इज्ज़त की
बली 
वो लड़कियां,अक्सर
घरों में बड़ी होती हैं....

©ashita pandey  बेबाक़

नहीं डरती किसी शय से किसी इम्तेहान से वो,डट कर खड़ी होती है उन्हें आता है,निपट लेना वो बचपन से लड़ी होती हैं उन्हें खुरचनो में मिली होती हैं कदर और मोहब्बत शायद वो तंज़ ओ रंज में पली होती है बहुत से ज़वाब तर्क कर तो सकती हैं मगर अफ़सोस तहज़ीब से बंधी होती हैं चढ़ जाती है, झूठी शान,खोखली इज्ज़त की बली वो लड़कियां,अक्सर घरों में बड़ी होती हैं.... ©ashita pandey बेबाक़

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