मैंने सपनों के शहर की कहानी लिखी है ...
ऊंची इमारतों के पीछे पलता बचपन,
जिम्मेदारियों की आड़ में ढलती जवानी लिखी है...
घड़ी की सुइयों से तेज दौड़ती जिंदगी में ,
कुछ सुकून के पलों की ख्वाइश तुम्हारी लिखी है ...
चाय की टपरी पर लगते ठहाकों
में उड़ती परेशानी लिखी है ...
याद के तौर पर रखी अपनों की
एक तस्वीर बतौर निशानी लिखी है ...
और इतवार के इंतजार में हजार सपनों की
एक किताब पुरानी लिखी है ....
©yamini gaur
#Dark