बाहर तपिश धूप की थी, अंदर तपिश भूख की थी, ऐ जिंद

"बाहर तपिश धूप की थी, अंदर तपिश भूख की थी, ऐ जिंदगी अब तु ही बता, तलाश छाँव की करुँ, या दो वक्त रोटी की.. Shiv k Shriwas"

 बाहर तपिश धूप की थी,

अंदर तपिश भूख की थी,

ऐ जिंदगी अब तु ही बता,

तलाश छाँव की करुँ,

या दो वक्त रोटी की..

Shiv k Shriwas

बाहर तपिश धूप की थी, अंदर तपिश भूख की थी, ऐ जिंदगी अब तु ही बता, तलाश छाँव की करुँ, या दो वक्त रोटी की.. Shiv k Shriwas

##तपिश भूख की##

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