"मैंने जिंदगी को कभी चलते तो कभी ठहरते देखा है.
अपने कच्चे मकान को बारिश में गिरते देखा है..
कभी गैरों से गुंजाइश तो कभी अपनों को करीब से निकलते देखा है..."
मैंने जिंदगी को कभी चलते तो कभी ठहरते देखा है.
अपने कच्चे मकान को बारिश में गिरते देखा है..
कभी गैरों से गुंजाइश तो कभी अपनों को करीब से निकलते देखा है...