राजनीति के महापंक में, खिला जो कमल हे। कमल वो अटल | हिंदी कविता

"राजनीति के महापंक में, खिला जो कमल हे। कमल वो अटल हे , या अटल ही कमल हे। पंक का एक दाग भी, लगने नही दिया है। त्याग तेज तप बल से, पंक को उज्जवल किया है। हिमालय सा हे अटल, द्वंद्व के सम्मुख अड़ा है। चिर कर सब घोर तम को, तेज बनकर वो खड़ा है। कर दिया तन राष्ट्र अर्पित, जीवन समर्पित कर दिया है। इहलोक से परलोक के उस, पथ पे वो अब चल दिया है।"

 राजनीति के महापंक में,
खिला जो कमल हे।
कमल वो अटल हे ,
या अटल ही कमल हे।
पंक का एक दाग भी,
लगने नही दिया है।
त्याग तेज तप बल से,
पंक को उज्जवल किया है।
हिमालय सा हे अटल,
द्वंद्व के सम्मुख अड़ा है।
चिर कर सब घोर तम को,
तेज बनकर वो खड़ा है।
कर दिया तन राष्ट्र अर्पित,
जीवन समर्पित कर दिया है।
इहलोक से परलोक के उस,
पथ पे वो अब चल दिया है।

राजनीति के महापंक में, खिला जो कमल हे। कमल वो अटल हे , या अटल ही कमल हे। पंक का एक दाग भी, लगने नही दिया है। त्याग तेज तप बल से, पंक को उज्जवल किया है। हिमालय सा हे अटल, द्वंद्व के सम्मुख अड़ा है। चिर कर सब घोर तम को, तेज बनकर वो खड़ा है। कर दिया तन राष्ट्र अर्पित, जीवन समर्पित कर दिया है। इहलोक से परलोक के उस, पथ पे वो अब चल दिया है।

#अटल बिहारी वाजपेयी

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