सावन की हर शाम सुहानी होती है चुनरिया इस रुत में ध | हिंदी शायरी

"सावन की हर शाम सुहानी होती है चुनरिया इस रुत में धानी होती है । लफ्जों की मुट्ठी में कैद नहीं होते अंदर भी एक कहानी होती है। सोच के लब पे तबस्सुम आ जाए ऐसी भी बेनाम कहानी होती है । तड़प उठती हूं सावन की बरसात में जैसे कोई मीरा दीवानी होती है। जज्बात की लहर काबू में कहाँ आती है दरिया जैसी इसमें रवानी होती है। ©Dharmendra singh"

 सावन की हर शाम सुहानी होती है
चुनरिया इस रुत में धानी होती है ।

लफ्जों की मुट्ठी में कैद नहीं होते
अंदर भी  एक कहानी होती है।

 सोच के  लब पे तबस्सुम आ जाए 
ऐसी भी बेनाम कहानी होती है ।

तड़प उठती हूं सावन की बरसात में
जैसे कोई मीरा  दीवानी होती है।

जज्बात की लहर काबू में कहाँ आती  है
दरिया जैसी इसमें रवानी होती है।

©Dharmendra singh

सावन की हर शाम सुहानी होती है चुनरिया इस रुत में धानी होती है । लफ्जों की मुट्ठी में कैद नहीं होते अंदर भी एक कहानी होती है। सोच के लब पे तबस्सुम आ जाए ऐसी भी बेनाम कहानी होती है । तड़प उठती हूं सावन की बरसात में जैसे कोई मीरा दीवानी होती है। जज्बात की लहर काबू में कहाँ आती है दरिया जैसी इसमें रवानी होती है। ©Dharmendra singh

#One season

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