चला था आसमां की गर्दिश देखने
चाँद ने दिन में दिखाई दे दी
मै बैठा था हाशिये पर अपने
दरवाजे से उसकी आहट सुनाई दे दी
अल्फाज में सुना दु किस्से तेरे
जिक्र तेरा सरेआम हो जाए
रंग जाऊं तेरे इश्क़ रंग में
मेरा भी नाम बदनाम हो जाए
अजनबी आँखे उसकी तबस्सुम की बारिश
तसव्वुर से परे है वो
हमारी रुखसती याद है मुझे
दूर होने से और बढ़े हैं वो
कह दु क्या दिल की बात अपनी
तुमसे बताया नही था जो अबतक
चुराया है दिल तुमने मेरा
बेजान रहूं बता दो कबतक
©pradeep kumar
#Sea
#Love