चला था आसमां की गर्दिश देखने चाँद ने दिन में दिखाई | English Poetry

"चला था आसमां की गर्दिश देखने चाँद ने दिन में दिखाई दे दी मै बैठा था हाशिये पर अपने दरवाजे से उसकी आहट सुनाई दे दी अल्फाज में सुना दु किस्से तेरे जिक्र तेरा सरेआम हो जाए रंग जाऊं तेरे इश्क़ रंग में मेरा भी नाम बदनाम हो जाए अजनबी आँखे उसकी तबस्सुम की बारिश तसव्वुर से परे है वो हमारी रुखसती याद है मुझे दूर होने से और बढ़े हैं वो कह दु क्या दिल की बात अपनी तुमसे बताया नही था जो अबतक चुराया है दिल तुमने मेरा बेजान रहूं बता दो कबतक ©pradeep kumar"

 चला था आसमां की गर्दिश देखने
चाँद ने दिन में दिखाई दे दी
मै बैठा था हाशिये पर अपने
दरवाजे से उसकी आहट सुनाई दे दी

अल्फाज में सुना दु किस्से तेरे
जिक्र तेरा सरेआम हो जाए
रंग जाऊं तेरे इश्क़ रंग में
मेरा भी नाम बदनाम हो जाए

अजनबी आँखे उसकी तबस्सुम की बारिश
तसव्वुर से परे है वो
हमारी रुखसती याद है मुझे
दूर होने से और बढ़े हैं वो

कह दु क्या दिल की बात अपनी
तुमसे बताया नही था जो अबतक
चुराया है दिल तुमने मेरा
बेजान रहूं बता दो कबतक

©pradeep kumar

चला था आसमां की गर्दिश देखने चाँद ने दिन में दिखाई दे दी मै बैठा था हाशिये पर अपने दरवाजे से उसकी आहट सुनाई दे दी अल्फाज में सुना दु किस्से तेरे जिक्र तेरा सरेआम हो जाए रंग जाऊं तेरे इश्क़ रंग में मेरा भी नाम बदनाम हो जाए अजनबी आँखे उसकी तबस्सुम की बारिश तसव्वुर से परे है वो हमारी रुखसती याद है मुझे दूर होने से और बढ़े हैं वो कह दु क्या दिल की बात अपनी तुमसे बताया नही था जो अबतक चुराया है दिल तुमने मेरा बेजान रहूं बता दो कबतक ©pradeep kumar

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