मानो न मानो कोई नया दीमक आया जरूर है,,
सालों भर का बना आशियाना,,,जर्जर कर गया,,
कोई नया दीमक आया जरूर है,,,
जहाँ रहती थी खुशियाँ हजार,,,नहीं थी घमंड की हवा,,,
उस हवा में जहर घोला जरूर है,,,
कोई नया दीमक आया जरूर है,,,
कोई जहाँ हिला नहीं पाता था एक ईंट भी,,,
उस दीवार पर दरारे बेकुसूर हैं,,,
मानो न मानो नया दीमक आया जरूर है,,
सालों भर का बना आशियाना,,,जर्जर कर गया,,
धीरे धीरे जर्जर किया,,अंदर से किया खोखला,,
गलती रही ख़ुशियों की जो मायाजाल में फंसता ही चला,,
मानो न मानो कोई नया दीमक आया जरूर है,,,
सालों भर का बना आशियाना,,जर्जर कर गया,,
©Krati Singh
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