शिक्षा जीवन का आधार हैं शिक्षा व्यापार नहीं लेकिन आधुनिकता के दौर में शिक्षा सिर्फ और सिर्फ व्यापार बनकर रह गया आज बच्चे कि जहां मस्ती भरे माहौल की उम्र होती है वहीं पर उन्हें पाठशाला का दर्शन करवा दिया जाता है बच्चे के वजन से भी ज्यादा पुस्तकों का भार उसकी पीठ पर लाद दिया जाता है बच्चे की वह स्वतंत्रता रूप जिंदगी अक्षर ज्ञान के अंदर लॉक हो जाती बच्चा रटं तप्रणाली का शिकार हो जाता है और प्रतिशतता जिन्हें शिक्षा का ढकोसला बनाकर बच्चे के प्रतिभा का नाश किया जाता है हम जानते हैं प्रत्येक बालक की अलग अलग क्षमता होती है लेकिन जबरन उसे प्रताड़ित कर के उसे समान क्षमता का बनाया जाता है जो बच्चे को तनाव का शिकार कर देती है और तुलना एक ऐसा मूर्खता रूपी आंकलन का तरीका है जिससे बच्चे का वास्तविक हुनर छुपाया जाता है आज प्रतिशतता के कारण शिक्षा दुकान बन गई और बच्चे की जिंदगी नरक बन गई और बेरोजगारी का बाजार बन गई हमें लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति का बहिष्कार कर तकनीकी शिक्षा या रोजगार मुखी शिक्षा की ओर उन्नत होना चाहिए लॉर्ड मैकाले ने कहा हम भारत को आजाद कर रहे हैं लेकिन वहां हम ऐसी शिक्षा पद्धति लागू करेंगे जहां लोग तन से भारतीय लेकिन मनसे अंग्रेज बनेंगे और धीरे धीरे संस्कृति का लॉक हो जाएगा क्योंकि किसी राष्ट्र की विकास व प्रगति के पथ को रोकने का सबसे सुंदर आइडिया उसकी संस्कृति और सभ्यता पर आधार करना बस यही आज की शिक्षा जो हमारे रास्ते में लागू है और बेरोजगारों का बाजार हमें दिखाई देता है पल भर में रिश्ता टूट जाते अपनी और अपनों की दुनिया बिखर जाती आइए हम औपचारिक शिक्षा की ओर प्रस्थान कर(ें आपका ओम भक्त मोहन कलम मेवाड की