कोई आस पास नही रहा ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ,,
मुझे अपना हाथ भी छू गया ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
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कोई आकर जैसे चला गया ,,कोई जाकर जैसे गया नहीं,,
मुझे अपना घर भी घर लगा ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
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मेरी बेकली थी शुघुफ्तगी, सो बहार मुझसे लिपट गई ,,
कहा बहम ने ये कोन था ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
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मुझे कब किसी की उमंग थी ,,मेरी अपने आप से जंग थी ,,
हुआ जब शिकस्त से सामना ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
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किसी हादसे की खबर हुई ,,तो सांस जैसे उखड़ गई ,,
कोई इतफाक से बच गया ,,तो ख्याल तेरी तरफ गया ।।
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(लियाकत अली असीम )
©Dr. of thuganomics
#ख्याल