White शक्ति के नैनो में शिव है, शिव की छवि में शक् | हिंदी कविता

"White शक्ति के नैनो में शिव है, शिव की छवि में शक्ति है, शक्ति के दर्शन में शिव है, शिव की प्रीत ही शक्ति है। है औगढ़ सा रूप प्रभु का, कैलाशी तो शमशानी है, कामदेव भी देखे जिसको, ऐसी मनमोहक शक्ति है। शिव शक्ति की प्रेम कथा प्रचलित है कई जमाने से, इक जीवन का सार नही ये,जन्मांतर की गाथा है। पीहर न जाने को समझाया किंतु भविष्य अधिकारी था, तीन लोक के स्वामी हारे, प्रेम विवेक पर भारी था। स्त्री की हठ के आगे नाथो के नाथ है हर गए, अश्रु लिए अंखियों में, अपुति शिव अपशब्द हुए। हे जग नारी देवो के देव का करो ध्यान।,जहां स्वामी का सम्मान न हो, वहां कभी न पैर धरो। पति अपमान सह न सकी, पति प्रिया ने लगाई छलांग, योगाग्री अग्नि में कूद दे दिए है अपने प्राण। शंखनाद की गर्जन से कांप उठा पूरा ब्रह्माण्ड, मैं मरघट का वासी हूं, ज्वाला सा है मेरा क्रोध, मेरा प्रेम मुझसे छीन कर दक्ष तुमने न ठीक किया, त्राहि त्राहि होगा अब जग में, मैं खोलूंगा तिरनेत्र मेरा। भार्या शती बाहों में लेकर दौड़ रहे है व्याकुल शिव, न धरती न गगन रहेगा, रहेगा बस अब मेरा प्रतिशोध। हे सती क्या तेरे विरह में मैं भी अपने प्राण दूं, कूद पड़ूं अग्नि कुंड में, अपने प्रेम का प्रमाण दू। ताप ये संताप का देवी चारो युग में फैला है, नीलकंठ भी नीले पड़ गए विरह का विष बहुत विषैला है। व्याकुल शक्ति बोली शिव से अब जा रही हूं प्राण प्रिए, इस बार तो प्रेम अधूरा रहा, लौटूंगी अगला जन्म लेकर। ©Sakshi Shankhdhar"

 White शक्ति के नैनो में शिव है, शिव की छवि में शक्ति है,
शक्ति के दर्शन में शिव है, शिव की प्रीत ही शक्ति है।
है औगढ़ सा रूप प्रभु का, कैलाशी तो शमशानी है,
कामदेव भी देखे जिसको, ऐसी मनमोहक शक्ति है।

शिव शक्ति की प्रेम कथा प्रचलित है कई जमाने से,
इक जीवन का सार नही ये,जन्मांतर की गाथा है।
पीहर न जाने को समझाया किंतु भविष्य अधिकारी था,
तीन लोक के स्वामी हारे, प्रेम विवेक पर भारी था।

स्त्री की हठ के आगे नाथो के नाथ है हर गए,
अश्रु लिए अंखियों में, अपुति शिव अपशब्द हुए।
हे जग नारी देवो के देव का करो ध्यान।,जहां स्वामी का सम्मान न हो,
वहां कभी न पैर धरो।
पति अपमान सह न सकी, पति प्रिया ने लगाई छलांग,
योगाग्री अग्नि में कूद दे दिए है अपने प्राण।


शंखनाद की गर्जन से कांप उठा पूरा ब्रह्माण्ड,
मैं मरघट का वासी हूं, ज्वाला सा है मेरा क्रोध,
मेरा प्रेम मुझसे छीन कर दक्ष तुमने न ठीक किया,
त्राहि त्राहि होगा अब जग में, मैं खोलूंगा तिरनेत्र मेरा।


भार्या शती बाहों में लेकर दौड़ रहे है व्याकुल शिव,
न धरती न गगन रहेगा, रहेगा बस अब मेरा प्रतिशोध।
हे सती क्या तेरे विरह में मैं भी अपने प्राण दूं,
कूद पड़ूं अग्नि कुंड में, अपने प्रेम का प्रमाण दू।
ताप ये संताप का देवी चारो युग में फैला है,
नीलकंठ भी नीले पड़ गए विरह का विष बहुत विषैला है।

व्याकुल शक्ति बोली शिव से अब जा रही हूं प्राण प्रिए,
इस बार तो प्रेम अधूरा रहा, लौटूंगी अगला जन्म लेकर।

©Sakshi Shankhdhar

White शक्ति के नैनो में शिव है, शिव की छवि में शक्ति है, शक्ति के दर्शन में शिव है, शिव की प्रीत ही शक्ति है। है औगढ़ सा रूप प्रभु का, कैलाशी तो शमशानी है, कामदेव भी देखे जिसको, ऐसी मनमोहक शक्ति है। शिव शक्ति की प्रेम कथा प्रचलित है कई जमाने से, इक जीवन का सार नही ये,जन्मांतर की गाथा है। पीहर न जाने को समझाया किंतु भविष्य अधिकारी था, तीन लोक के स्वामी हारे, प्रेम विवेक पर भारी था। स्त्री की हठ के आगे नाथो के नाथ है हर गए, अश्रु लिए अंखियों में, अपुति शिव अपशब्द हुए। हे जग नारी देवो के देव का करो ध्यान।,जहां स्वामी का सम्मान न हो, वहां कभी न पैर धरो। पति अपमान सह न सकी, पति प्रिया ने लगाई छलांग, योगाग्री अग्नि में कूद दे दिए है अपने प्राण। शंखनाद की गर्जन से कांप उठा पूरा ब्रह्माण्ड, मैं मरघट का वासी हूं, ज्वाला सा है मेरा क्रोध, मेरा प्रेम मुझसे छीन कर दक्ष तुमने न ठीक किया, त्राहि त्राहि होगा अब जग में, मैं खोलूंगा तिरनेत्र मेरा। भार्या शती बाहों में लेकर दौड़ रहे है व्याकुल शिव, न धरती न गगन रहेगा, रहेगा बस अब मेरा प्रतिशोध। हे सती क्या तेरे विरह में मैं भी अपने प्राण दूं, कूद पड़ूं अग्नि कुंड में, अपने प्रेम का प्रमाण दू। ताप ये संताप का देवी चारो युग में फैला है, नीलकंठ भी नीले पड़ गए विरह का विष बहुत विषैला है। व्याकुल शक्ति बोली शिव से अब जा रही हूं प्राण प्रिए, इस बार तो प्रेम अधूरा रहा, लौटूंगी अगला जन्म लेकर। ©Sakshi Shankhdhar

#Shiva

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