कई अरसे बाद मेरे चट्टानी दिल में, एक प्रबल अंकुर ह | हिंदी शायरी

"कई अरसे बाद मेरे चट्टानी दिल में, एक प्रबल अंकुर हुआ, दोस्ती रूपी पौध का। कहीं उसके काढ़ में दम तोड़ न दे रिश्ते, मसल दिया उसको मुझ जैसे बेदर्दी ने। (काढ़- पेड़ की छाया) ©Ankit Tripathi"

 कई अरसे बाद
मेरे चट्टानी दिल में,
एक प्रबल अंकुर हुआ,
दोस्ती रूपी पौध का।
कहीं उसके काढ़ में
दम तोड़ न दे रिश्ते,
मसल दिया उसको
मुझ जैसे बेदर्दी ने।

(काढ़- पेड़ की छाया)

©Ankit Tripathi

कई अरसे बाद मेरे चट्टानी दिल में, एक प्रबल अंकुर हुआ, दोस्ती रूपी पौध का। कहीं उसके काढ़ में दम तोड़ न दे रिश्ते, मसल दिया उसको मुझ जैसे बेदर्दी ने। (काढ़- पेड़ की छाया) ©Ankit Tripathi

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