कैसे पराया करदुं उसे
उसकी एक मुस्कान
जीनेकी वजह होतीथी !
कैसे भूल जाऊं उसे
जिसकी एक आवाज़
मेरी धड़कन बढ़ा देती थी !!
कैसे नफरत करूं उसे
जिसके छूनेसे
सुकून मिलता था !!!
कैसे चला जाऊं बिना देखे उसे
जिसकी आंखे हमेशा
मेरे तरफ देखती थी !!!!
©Nihar Ranjan Parida
#together