तुम्हारे लिए
Thursday, 2 September | 04:00 pm
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प्यार , दुनिया से अलग होने का एहसास
जब हम तुम मिलेंगे
इन्तजार से नहांयी हुयी आँखे
खुशियों से नहाएंगी
जैसे सावन से नहाती है प्रकृती
तुम्हारी नर्म हथेलियों का स्पर्श
अहसास करायेंगी दिसम्बर की
गुनगुनी धूप का,
तुम्हारे बालों का स्पर्श एहसास करायेगा
मानो किसी ने कांपते बदन पर
खुशबू से नहाई हुई कश्मीरी शाल रख दी हो
तुम्हारे होठों की हँसी एहसास कराएगी हमें
जेठ की दुपहरी मे भटके हुए प्यासे राही को
कुएं के पास मिली पीपल के छाँव के शुकून का
जब हम तुम मिलेंगे
टकटकी लगाये देखेगी मेरी आंख तुम्हारी आँखों में
हो सकता है चोरी चोरी मुस्कुराएँ तुम्हारे होंठ
फिर मैं कह सकूँगा कि मैंने देखा
कमल के पंखुड़ियों को खिलते हुए, सामने से
जब हम तुम मिलेंगे तो जागेगी उम्मीद
पानी के इन्तजार में रेगिस्तान का , कि
एक दिन इन्तजार होता है पूर्ण ।