बस जरा सी हवा की जरूरत है वरना इस कोयले में आग आज | हिंदी शायरी

"बस जरा सी हवा की जरूरत है वरना इस कोयले में आग आज भी है। मैं फिर उठूँगा, दौडूंगा, जिन्दा मेरी उम्मीद आज भी है।।"

 बस जरा सी हवा की जरूरत है
वरना इस कोयले में आग आज भी है।
मैं फिर उठूँगा, दौडूंगा, जिन्दा मेरी
उम्मीद आज भी है।।

बस जरा सी हवा की जरूरत है वरना इस कोयले में आग आज भी है। मैं फिर उठूँगा, दौडूंगा, जिन्दा मेरी उम्मीद आज भी है।।

#Umeed

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