"मन का अंधेरा
रात भी काली हो गयी
मन पहले से ही अंधेरे में था
उसे उजाले की आस थी
और हमें इस काली स्याह से
प्रेम होने लगा था..
मंजिल तो किसी एक को ही मिलनी थी
फिर खफ़ा होने का
सवाल ही कहाँ उठता था...
धीरे-धीरे उसे उजाले की किरण दिखने लगी
जाने अनजाने वो मेरे झूठे अंधरे को
चुरा ले गया..
ख़ैर हमें खुशी है...☺️
उसकी ख्वाहिशों का दीपक अब
दिन के उजालों के साथ जलता है
और मेरे काले अंधेरे का दिया
मन के किसी कोने में
सिसकता रह गया ||
©Lovely Spreet Sushmita"