White "बाहर कितना भी चीख लो, अंदर की खामोशी कभी खत | हिंदी Poetry

"White "बाहर कितना भी चीख लो, अंदर की खामोशी कभी खत्म नहीं होती।" ©Pyare ji"

 White "बाहर कितना भी चीख लो, अंदर की खामोशी कभी खत्म नहीं होती।"

©Pyare ji

White "बाहर कितना भी चीख लो, अंदर की खामोशी कभी खत्म नहीं होती।" ©Pyare ji

#Sad_Status @*kridha* @R Ojha Katha(कथा ) @Ana pandey @Writer

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