White कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से कै | हिंदी Shayari

"White कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अंश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझाएंगे? सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे ©"SILENT""

 White कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से
कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे

कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अंश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएंगे?
सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे

©"SILENT"

White कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से कैसी रक्षा मांग रही हो दुःशासन दरबारों से स्वयं जो लज्जाहीन पड़े हैं वे क्या लाज बचाएंगे सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है तुम ही कहो ये अंश्रु तुम्हारे, किसको क्या समझाएंगे? सुनो द्राैपदी! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे ©"SILENT"

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