वो रात ज़ुल्मो सितम की रात होगी, जिस दिन रुकसत उनक | हिंदी शायरी

"वो रात ज़ुल्मो सितम की रात होगी, जिस दिन रुकसत उनकी बारात होगी, ये सोच कर ही नींद टूट जाती है मेरी, कि किसी गैर की बाहों में मेरी पूरी कायनात होगी।"

 वो रात ज़ुल्मो सितम की रात होगी,
जिस दिन रुकसत उनकी बारात होगी,
ये सोच कर ही नींद टूट जाती है मेरी,
कि किसी गैर की बाहों में मेरी पूरी कायनात होगी।

वो रात ज़ुल्मो सितम की रात होगी, जिस दिन रुकसत उनकी बारात होगी, ये सोच कर ही नींद टूट जाती है मेरी, कि किसी गैर की बाहों में मेरी पूरी कायनात होगी।

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