आसान मंज़िल नफरत की आग को मोहब्बत के लहू से बुझा दे | हिंदी Shayari

"आसान मंज़िल नफरत की आग को मोहब्बत के लहू से बुझा देना फितरत है हमारी... हम तो वो दीवाने है, जिन्हें किसी के खुश्क आंखों से भी बेपनाह प्यार है... ©Writer Neeraj Kirar"

 आसान मंज़िल नफरत की आग को मोहब्बत के लहू से बुझा देना फितरत है हमारी...
हम तो वो दीवाने है, जिन्हें किसी के खुश्क आंखों से भी बेपनाह प्यार है...

©Writer Neeraj Kirar

आसान मंज़िल नफरत की आग को मोहब्बत के लहू से बुझा देना फितरत है हमारी... हम तो वो दीवाने है, जिन्हें किसी के खुश्क आंखों से भी बेपनाह प्यार है... ©Writer Neeraj Kirar

#kirar96

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