तुम्हारी यादें, टिड्डियों के झुंड सी है, जो मेरे म

"तुम्हारी यादें, टिड्डियों के झुंड सी है, जो मेरे मन के उपवन में, तबाही का सैलाब ले आती है और बचा रह जाता है, बस अवसाद ही अवसाद । Satyam Kr Satyarthi"

 तुम्हारी यादें,
टिड्डियों के झुंड सी है,
जो मेरे मन के उपवन में,
तबाही का सैलाब ले आती है
और बचा रह जाता है,
बस अवसाद ही अवसाद ।

Satyam Kr Satyarthi

तुम्हारी यादें, टिड्डियों के झुंड सी है, जो मेरे मन के उपवन में, तबाही का सैलाब ले आती है और बचा रह जाता है, बस अवसाद ही अवसाद । Satyam Kr Satyarthi

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