White लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ ज | हिंदी Sad Video

"White लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी भूल नही पाउँगा वो लम्हा जब तुमने दिल की धड़कने सुनाई थी ये बिछड़ना-मिलना यह तो शायद मोहब्बत है अपने प्यार को वो दे देना जिसकी उसको जरूरत है हम दोनों थे कैद कही अपनी समझ की सलाखों में तुमने ऐसा रिहा किया खुद आज़ादी शर्मायी थी जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी मिलेंगे हम ये वादा है रोज रात को चाँद के जरिये मैं भेजूंगा पैगाम तुझे इस बहती हवा के जरिये साथ रहेंगे एक सोच के जरिये नाजुक नाजुक यादों में तुम कहना एक ज़िद्दी पडोसी अपने घर भी आया था लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है चलो बहुत हुआ अब चुप रहूँगा चुपी में मज़मून है ज्यादा तुम जैसा बनना कहूँगा बस मेरा इतना ही है वादा इससे ज्यादा कहूंगा कुछ तो फूट पड़ेगी रुलाई भी लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी ©Naveen "

White लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी भूल नही पाउँगा वो लम्हा जब तुमने दिल की धड़कने सुनाई थी ये बिछड़ना-मिलना यह तो शायद मोहब्बत है अपने प्यार को वो दे देना जिसकी उसको जरूरत है हम दोनों थे कैद कही अपनी समझ की सलाखों में तुमने ऐसा रिहा किया खुद आज़ादी शर्मायी थी जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी मिलेंगे हम ये वादा है रोज रात को चाँद के जरिये मैं भेजूंगा पैगाम तुझे इस बहती हवा के जरिये साथ रहेंगे एक सोच के जरिये नाजुक नाजुक यादों में तुम कहना एक ज़िद्दी पडोसी अपने घर भी आया था लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है चलो बहुत हुआ अब चुप रहूँगा चुपी में मज़मून है ज्यादा तुम जैसा बनना कहूँगा बस मेरा इतना ही है वादा इससे ज्यादा कहूंगा कुछ तो फूट पड़ेगी रुलाई भी लोग लड़ते है मिलने के खातिर अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी ©Naveen

लोग लड़ते है मिलने के खातिर 

अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है 

जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी 

भूल नही पाउँगा वो लम्हा जब तुमने 

दिल की धड़कने सुनाई थी


ये बिछड़ना-मिलना यह तो शायद मोहब्बत है 

अपने प्यार को वो दे देना जिसकी उसको जरूरत है 

हम दोनों थे कैद कही अपनी समझ की सलाखों में 

तुमने ऐसा रिहा किया खुद आज़ादी शर्मायी थी 


जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी 

मिलेंगे हम ये वादा है रोज रात को चाँद के जरिये 

मैं भेजूंगा पैगाम तुझे इस बहती हवा के जरिये 

साथ रहेंगे एक सोच के जरिये नाजुक नाजुक यादों में 

तुम कहना एक ज़िद्दी पडोसी अपने घर भी आया था

 

लोग लड़ते है मिलने के खातिर 

अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है 

चलो बहुत हुआ अब चुप रहूँगा चुपी में मज़मून है 

ज्यादा तुम जैसा बनना कहूँगा बस मेरा इतना ही है वादा

इससे ज्यादा कहूंगा कुछ तो फूट पड़ेगी रुलाई भी 


लोग लड़ते है मिलने के खातिर 

अपनी तो बिछड़ जाने की लड़ाई है 

जीत मिली दोनों की बस आंसू की कमाई थी

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