गुलाब सब कलियां सूख गए सब गुलाब सुख गई सब माली | हिंदी Poetry

"गुलाब सब कलियां सूख गए सब गुलाब सुख गई सब माली ऊब गई सब माली भी ऊब गए फिर भी ना जाने क्यों यह बीज बेताब है फिर भी ना जाने क्यों यह जमीन बेताब है कि कोई किसान आकर हमारा दिया बियाह करो और हम मिलकर के अरुणय हरा भरा करे इसके सिवा हम अनपढ़ कर भी क्या सकते है इसके सिवा हम अनपढ़ गढ़ भी क्या सकते है ©ashish gupta"

 गुलाब सब कलियां सूख गए सब गुलाब सुख गई  
 सब माली ऊब गई सब माली भी ऊब गए

फिर भी ना जाने क्यों यह बीज बेताब है
फिर भी ना जाने क्यों यह जमीन बेताब है

कि कोई किसान आकर हमारा दिया बियाह करो
और हम मिलकर के अरुणय हरा भरा करे

इसके सिवा हम अनपढ़ कर भी क्या सकते है
इसके सिवा हम अनपढ़ गढ़ भी क्या सकते है

©ashish gupta

गुलाब सब कलियां सूख गए सब गुलाब सुख गई सब माली ऊब गई सब माली भी ऊब गए फिर भी ना जाने क्यों यह बीज बेताब है फिर भी ना जाने क्यों यह जमीन बेताब है कि कोई किसान आकर हमारा दिया बियाह करो और हम मिलकर के अरुणय हरा भरा करे इसके सिवा हम अनपढ़ कर भी क्या सकते है इसके सिवा हम अनपढ़ गढ़ भी क्या सकते है ©ashish gupta

#गुलाब

सब कलियां सूख गए सब गुलाब सुख गई
सब माली ऊब गई सब माली भी ऊब गए

फिर भी ना जाने क्यों यह बीज बेताब है
फिर भी ना जाने क्यों यह जमीन बेताब है

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