ख्वाब के टूटे हर शीशे में,
नया जुड़ना ना हैं बेहतर।
दास्ता हमारी काफी बडी,
ना जानना ही हैं बेहतर।।
संघर्ष बड़े, रूप चल चली
दर्द में भी हंस के आगे बढी़।
निभा सके, कोई इतना न मिला
टूट टूट कर चलना, यही लिखा।
दास्ता हमारी काफी बडी,
ना जानना ही हैं बेहतर।।
ना जानना ही हैं बेहतर!!! लेख
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