कितनी मुद्दत से मिली हो तुम ,तुम्हें यूं जाया नहीं | हिंदी Poetry

"कितनी मुद्दत से मिली हो तुम ,तुम्हें यूं जाया नहीं होने देंगे लाख टोके ये जमाना ,यूं पराया नहीं होने देंगे खैर कोशिशें की तो मैंने बहुत, पर सब बेकार चली गई फिर भी क्या हुआ , ऐसे किसी और का साया नहीं होने देंगे । ©Rd Abhi ji"

 कितनी मुद्दत से मिली हो तुम ,तुम्हें यूं जाया नहीं होने देंगे 
लाख टोके ये जमाना ,यूं पराया नहीं होने देंगे 
खैर कोशिशें की तो मैंने बहुत, पर सब बेकार चली गई 
फिर भी क्या हुआ , ऐसे किसी और का साया नहीं होने देंगे ।

©Rd Abhi ji

कितनी मुद्दत से मिली हो तुम ,तुम्हें यूं जाया नहीं होने देंगे लाख टोके ये जमाना ,यूं पराया नहीं होने देंगे खैर कोशिशें की तो मैंने बहुत, पर सब बेकार चली गई फिर भी क्या हुआ , ऐसे किसी और का साया नहीं होने देंगे । ©Rd Abhi ji

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