आज इंसानियत हो गई शर्मसार हैं, किसी बेजुबान की साँ
"आज इंसानियत हो गई शर्मसार हैं,
किसी बेजुबान की साँसें छिनने का किसने दिया तुम्हें अधिकार हैं,
ये मानवता के अंत का आगा़ज हैं,
दिल चीर दिया इस दृश्य ने मेरा के अब लिखने को नहीं कोई अल्फा़ज हैं। -Ragi"
आज इंसानियत हो गई शर्मसार हैं,
किसी बेजुबान की साँसें छिनने का किसने दिया तुम्हें अधिकार हैं,
ये मानवता के अंत का आगा़ज हैं,
दिल चीर दिया इस दृश्य ने मेरा के अब लिखने को नहीं कोई अल्फा़ज हैं। -Ragi