एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हू | हिंदी कविता

"एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ - दुष्यंत कुमार ©Raj Prince"

 एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

- दुष्यंत कुमार

©Raj Prince

एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी रेल सी गुज़रती है मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ - दुष्यंत कुमार ©Raj Prince

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- दुष्यंत कुमार

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