White नशा क्या है ??
नशा है
पहाड़ के सामने खुद को समर्पित कर देना
झरने से आते पानी को औक लगा कर चख लेना
घास पर लेटे हुए स्वर्णिम तारों को निहारना
बर्फ की चादर ओढ़े उज्ज्वल मैदानों को देखना |
नशा है
पतझड़ में टूटी पत्तियों पर नई कोपलों को आते देखने में
बरसात में गीली मिट्टी की सौंधी सी सुगंध में
सर्दियों में कोहरे को चीरती सुरज की किरणों में
खेतों से आती ज्वार बाजरे की फसलों की खुशबू में ।
नशा है
नई क़िताब को पढ़ने की उत्सुकता में
उसके किरदारों में खुद को खोकर फिर पा लेने में
चाय का गले से उतर कर साँसों में मिल जाने में
अपनों की महफ़िल में दुख साझा कर लेना में ।
नशा है
खामोशी से किसी के पहलू में बैठे रहने में
संगीत को सुन उसकी धुन, लफ़्ज़ों में खो जाने में
वासना से परे किसी को क्षण भर चाह लेने में
अशांत समंदर मन को शब्द सरीखी लहरों से तृप्त कर लेने में ।
©Dr.Govind Hersal
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