मोहब्बत भरा आपके सामने,
मैंने यह कलाम रख दिया ||
एक दिन मिल गई अचानक उनसे नजर मेरी,
उस नजर का मोहब्बत उसने नाम रख दिया ||
जाने कब हो गई इतनी मोहब्बत उसे मुझसे,
अपना हाल-ए-दिल मेरे सामने उसने एक शाम रख दिया||
मैं ना था जिससे वाकिफ भी बिल्कुल,
सामने उसने मेरे ऐसा इंतिहान रख दिया ||
ना जाने कब वो इतना रूबरू हो गई मुझसे,
आशिकों में सबसे ऊपर उसने मेरा नाम रख दिया||
पड़ गया यह सागर भी प्यार में उनके,
इस नाचीज़ का जनाब #सागर उसने मेरा नाम रख दिया||
©Virendra Sagar
#sagar sahab