क्यों बनाती हो यह रेस की महल जिन्हें एक रोज ना म | हिंदी Shayari

"क्यों बनाती हो यह रेस की महल जिन्हें एक रोज ना मिटा पाओगी तुम आज कहती हो इस दिलजले से प्यार है तुम्हें कल मेरा नाम तक भूल जाओगी तुम ©Ebrat"

 क्यों बनाती हो यह रेस  की  महल जिन्हें एक रोज ना मिटा पाओगी तुम आज कहती हो इस दिलजले से प्यार है तुम्हें कल मेरा नाम तक भूल जाओगी तुम

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क्यों बनाती हो यह रेस की महल जिन्हें एक रोज ना मिटा पाओगी तुम आज कहती हो इस दिलजले से प्यार है तुम्हें कल मेरा नाम तक भूल जाओगी तुम ©Ebrat

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