White अकेली रह रही औरतों के पैर में मख्खन नहीं लगे | हिंदी मोटिवेशनल

"White अकेली रह रही औरतों के पैर में मख्खन नहीं लगे रहते जो जब जहां फिसल जाएं न रीढ किसी भरे फल की डाल है जो झुक जाए हर किसी के आगे इनकीं आंखों में बेचारगी की तलाश पर तुम मुँह की खाओगे इनके खुले कंधों पर तुम कितने ताने सुनाओगे कान में फिल्टर है इनके कब जितना चाहती हैं उतना ही सुनेंगी अब वो हाथ में बच्चा पकड़े कलम या किसी ऑफिस के केबिन की चाभी ये कतई उनकी मर्जी है बॉस के साथ कॉफी हाउस जाती अगर आप किसी गरम बिस्तर तक कि कल्पना का स्वाद लेने लगे हैं तो आग हमेशा आपके दिमाग में ही लगी है वो बच्चा नहीं पैदा कर पाई इसलिए छोड़ दी गई पति को धोखा दी और घर से बेघर कर दी गई अब इन दलीलों पर कसम से ध्यान ही नही जाता वो खुश नहीं थी वो बंदी महसूस कर रही थी उन्हें पहरे नही थे पसंद गालियों और तानों में कबतक देती जान तो बस अलग हो गई अब इनकीं अलग जिंदगी खुश हाल है किसी पुरुष से ही पूरी हो जीवन की मुस्कान ये उसे धत्ता बता मजे से तमाम रंग के फूलों वाली छत पर बैठी गुनगुना रही हैं और ये जो आठों भुजाओं में घर बच्चे चिमटा चाभी दफ्तर बर्तन वाली फोटो है न वो महज बकवास है ऐसी तारीफों से ये फुनगी पर नहीं चढ़ेंगी ये अपने हिसाब से सब संभालेंगी तलवार भी इनकीं धार भी इनकीं जुबान भी इनकीं मंडपों में ही नहीं है शक्ति घरों में भी कैद है इन्हें बेदम मारा है लोगों ने इनके सपने खप्पर के राख की तरह छिटके हैं ये अपमान से तिलमिलाई हैं शिव ने कंठ में रोक लिया था जहर इनके नसों में है किसी अकेली औरत की खुली कमर गहरे कट वाले ब्लॉउज में झांकने से बेहतर है आंखों में झाकिये देखिए कितनी ताब है कितनी मौतों के बाद भी अड़ी हैं बदलते स्वरुप को मान तो देना ही चाहिये इनके होने को दर्ज करना चाहिए नव रात से ज्यादे रातें ये जग के बिताई हैं ये जो अपनी पहचान बना रहीं ये जो लगातार आपकी नजरों में चुभी जा रही और ये तो आप ही हैं न घर की औरत साड़ी में लिपटी पसन्द दूसरी औरत खुले कपड़ों में इस दोगले सोच को ठोकर मारती इन औरतों के नाम घरों के नेमप्लेट लग रहे अब ये फेंकी टूटी प्लेटों के कांच उठाते बिचारी नजर नहीं आएंगी क्यों न आप नजर बदल लें कर के देखिए अच्छा लगेगा-----* ©Andy Mann"

 White अकेली रह रही औरतों के पैर में मख्खन नहीं लगे रहते जो जब जहां फिसल जाएं
न रीढ किसी भरे फल की डाल है जो झुक जाए हर किसी के आगे
इनकीं आंखों में बेचारगी की तलाश पर तुम मुँह की खाओगे
इनके खुले कंधों पर तुम कितने ताने सुनाओगे
कान में फिल्टर है इनके कब जितना चाहती हैं उतना ही सुनेंगी
अब वो हाथ में बच्चा पकड़े कलम या किसी ऑफिस के केबिन की चाभी
ये कतई उनकी मर्जी है
बॉस के साथ कॉफी हाउस जाती अगर आप किसी गरम बिस्तर तक कि कल्पना का स्वाद लेने लगे हैं  तो आग हमेशा आपके दिमाग में ही लगी है
वो बच्चा नहीं पैदा कर पाई इसलिए छोड़ दी गई पति को धोखा दी और घर से बेघर कर दी गई
अब इन दलीलों पर कसम से ध्यान ही नही जाता
वो खुश नहीं थी वो बंदी महसूस कर रही थी
उन्हें पहरे नही थे पसंद गालियों  और तानों में कबतक देती जान
तो बस अलग हो गई अब इनकीं अलग जिंदगी खुश हाल है
किसी पुरुष से ही पूरी हो जीवन की मुस्कान ये उसे धत्ता बता मजे से तमाम रंग के फूलों वाली छत पर बैठी गुनगुना रही हैं
और ये जो आठों भुजाओं में घर बच्चे चिमटा चाभी दफ्तर बर्तन वाली फोटो है न वो महज बकवास है
ऐसी तारीफों से ये फुनगी पर नहीं चढ़ेंगी ये अपने हिसाब से सब संभालेंगी
तलवार भी इनकीं धार भी इनकीं  जुबान भी इनकीं
मंडपों में ही नहीं है शक्ति घरों में भी कैद है इन्हें बेदम मारा है लोगों ने
इनके सपने खप्पर के राख की तरह छिटके हैं
ये अपमान से तिलमिलाई हैं शिव ने कंठ में रोक लिया था जहर
इनके नसों में है  किसी अकेली औरत की खुली कमर 
गहरे कट वाले ब्लॉउज में झांकने से बेहतर है आंखों में झाकिये
देखिए कितनी ताब है कितनी मौतों के बाद भी अड़ी हैं
बदलते स्वरुप को मान तो देना ही चाहिये इनके होने को दर्ज करना चाहिए
नव रात से ज्यादे रातें ये जग के बिताई हैं  ये जो अपनी पहचान बना रहीं
ये जो लगातार आपकी नजरों में चुभी जा रही और ये तो आप ही हैं न
घर की औरत साड़ी में लिपटी पसन्द दूसरी औरत खुले कपड़ों में
इस दोगले सोच को ठोकर मारती इन औरतों के नाम घरों के नेमप्लेट लग रहे
अब ये फेंकी टूटी प्लेटों के कांच उठाते बिचारी नजर नहीं आएंगी 
क्यों न आप नजर बदल लें
कर के देखिए अच्छा लगेगा-----*

©Andy Mann

White अकेली रह रही औरतों के पैर में मख्खन नहीं लगे रहते जो जब जहां फिसल जाएं न रीढ किसी भरे फल की डाल है जो झुक जाए हर किसी के आगे इनकीं आंखों में बेचारगी की तलाश पर तुम मुँह की खाओगे इनके खुले कंधों पर तुम कितने ताने सुनाओगे कान में फिल्टर है इनके कब जितना चाहती हैं उतना ही सुनेंगी अब वो हाथ में बच्चा पकड़े कलम या किसी ऑफिस के केबिन की चाभी ये कतई उनकी मर्जी है बॉस के साथ कॉफी हाउस जाती अगर आप किसी गरम बिस्तर तक कि कल्पना का स्वाद लेने लगे हैं तो आग हमेशा आपके दिमाग में ही लगी है वो बच्चा नहीं पैदा कर पाई इसलिए छोड़ दी गई पति को धोखा दी और घर से बेघर कर दी गई अब इन दलीलों पर कसम से ध्यान ही नही जाता वो खुश नहीं थी वो बंदी महसूस कर रही थी उन्हें पहरे नही थे पसंद गालियों और तानों में कबतक देती जान तो बस अलग हो गई अब इनकीं अलग जिंदगी खुश हाल है किसी पुरुष से ही पूरी हो जीवन की मुस्कान ये उसे धत्ता बता मजे से तमाम रंग के फूलों वाली छत पर बैठी गुनगुना रही हैं और ये जो आठों भुजाओं में घर बच्चे चिमटा चाभी दफ्तर बर्तन वाली फोटो है न वो महज बकवास है ऐसी तारीफों से ये फुनगी पर नहीं चढ़ेंगी ये अपने हिसाब से सब संभालेंगी तलवार भी इनकीं धार भी इनकीं जुबान भी इनकीं मंडपों में ही नहीं है शक्ति घरों में भी कैद है इन्हें बेदम मारा है लोगों ने इनके सपने खप्पर के राख की तरह छिटके हैं ये अपमान से तिलमिलाई हैं शिव ने कंठ में रोक लिया था जहर इनके नसों में है किसी अकेली औरत की खुली कमर गहरे कट वाले ब्लॉउज में झांकने से बेहतर है आंखों में झाकिये देखिए कितनी ताब है कितनी मौतों के बाद भी अड़ी हैं बदलते स्वरुप को मान तो देना ही चाहिये इनके होने को दर्ज करना चाहिए नव रात से ज्यादे रातें ये जग के बिताई हैं ये जो अपनी पहचान बना रहीं ये जो लगातार आपकी नजरों में चुभी जा रही और ये तो आप ही हैं न घर की औरत साड़ी में लिपटी पसन्द दूसरी औरत खुले कपड़ों में इस दोगले सोच को ठोकर मारती इन औरतों के नाम घरों के नेमप्लेट लग रहे अब ये फेंकी टूटी प्लेटों के कांच उठाते बिचारी नजर नहीं आएंगी क्यों न आप नजर बदल लें कर के देखिए अच्छा लगेगा-----* ©Andy Mann

#good_night @Sangeet... Dr. uvsays Sonia Anand @Neel @Miss Anu.. thoughts

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