खामोशी छाई है
कोहरा भी घना है
यह कैसी दुनिया है
जहां सब बिखरा पड़ा है
सबकी आंखों मे कई बातें हैं
पर जुब़ान बोलने को तैयार नही
अजीब सी है ये , ना जाने कब किसको कहां ले आये
इतनी तो उम्मीद कर सकते हैं
पर सवाल यह है , ऐ जिन्दगी तुझसे
क्या तू उम्मीदे - वफा करने लायक है ?
©sakshi {shravani}
#Khaamosshi 🤍