दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए जब तक ना सांस ट | हिंदी Shayari

"दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए जब तक ना सांस टूटे जिए जाना चाहिए यूं तो कदम कदम पर है दीवार सामने कोई ना हो तो खुद से उलझ जाना चाहिए। ©D. J."

 दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए 
जब तक ना सांस टूटे जिए जाना चाहिए
यूं तो कदम कदम पर है दीवार सामने
कोई ना हो तो खुद से उलझ जाना चाहिए।

©D. J.

दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए जब तक ना सांस टूटे जिए जाना चाहिए यूं तो कदम कदम पर है दीवार सामने कोई ना हो तो खुद से उलझ जाना चाहिए। ©D. J.

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