कल रात नीचे देखा था मैंने, ऊंचाइयों में जाकर, एक अ | हिंदी विचार

"कल रात नीचे देखा था मैंने, ऊंचाइयों में जाकर, एक अजीब जलसा, शान-ओ-शौकत दिखाने के लिए। लोगों ने खुद को, अंधेरे कमरे में छिपाकर, छत पर जला रखीं थीं बत्तियां, हर किसी को बहकाने के लिए।। ©Rahul Kaushik"

 कल रात नीचे देखा था मैंने, ऊंचाइयों में जाकर,
एक अजीब जलसा, शान-ओ-शौकत दिखाने के लिए।
लोगों ने खुद को, अंधेरे कमरे में छिपाकर,
छत पर जला रखीं थीं बत्तियां, हर किसी को बहकाने के लिए।।

©Rahul Kaushik

कल रात नीचे देखा था मैंने, ऊंचाइयों में जाकर, एक अजीब जलसा, शान-ओ-शौकत दिखाने के लिए। लोगों ने खुद को, अंधेरे कमरे में छिपाकर, छत पर जला रखीं थीं बत्तियां, हर किसी को बहकाने के लिए।। ©Rahul Kaushik

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