सिर्फ़ सूरज के ऊगने से कुछ नहीं होता। आंखे भी खोलन | हिंदी Shayari

"सिर्फ़ सूरज के ऊगने से कुछ नहीं होता। आंखे भी खोलनी पड़ती हैं रोशनी के लिए। ©Rohit jain RJ"

 सिर्फ़ सूरज के ऊगने से कुछ नहीं होता।
आंखे भी खोलनी पड़ती हैं रोशनी के लिए।

©Rohit jain RJ

सिर्फ़ सूरज के ऊगने से कुछ नहीं होता। आंखे भी खोलनी पड़ती हैं रोशनी के लिए। ©Rohit jain RJ

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