पहली बारिश भींगा रही थी मुझको नवोदय महक रहा था म | English Shayari

"पहली बारिश भींगा रही थी मुझको नवोदय महक रहा था मेरे अंदर का नवोदयंस उन यादों में फुदक रहा था बहक रहा था मेरा मन कभी गरम हवाएं शीतल मन सो के उठा दोपहरी में तो बोला भाई चलो रिमिडियल पर ! एहसास नवोदय का जब जब मुझको हो जाता है मेरे अंदर का रोम रोम फूला नहीं समाता है मैं यूं ही हंसता रहता हूं बेवजह ही खुश रहता हूं कोई पूछे क्या हुआ तब मैं ये कहता हूं अरे,उसकी याद आई है खिड़की खोलो शायद बारिश आई है फिर देखा झड़ते पत्तो को टूट रहे थे सूख रहे थे याद नवोदय की आई अब मेरे आंसू छूट रहे थे ।। ©Vimal Gupta"

 पहली बारिश भींगा रही थी 
मुझको नवोदय महक रहा था 
मेरे अंदर का नवोदयंस 
उन यादों में फुदक रहा था 
बहक रहा था मेरा मन 
कभी गरम हवाएं शीतल मन 
सो के उठा दोपहरी में 
तो बोला भाई चलो रिमिडियल 
पर ! एहसास नवोदय का 
जब जब मुझको हो जाता है 
मेरे अंदर का रोम रोम 
फूला नहीं समाता है 
मैं यूं ही हंसता रहता हूं 
बेवजह ही खुश रहता हूं 
कोई पूछे क्या हुआ 
तब मैं ये कहता हूं 
अरे,उसकी याद आई है 
खिड़की खोलो शायद बारिश आई है 
फिर देखा झड़ते पत्तो को 
टूट रहे थे सूख रहे थे 
याद नवोदय की आई 
अब मेरे आंसू छूट रहे थे ।।

©Vimal Gupta

पहली बारिश भींगा रही थी मुझको नवोदय महक रहा था मेरे अंदर का नवोदयंस उन यादों में फुदक रहा था बहक रहा था मेरा मन कभी गरम हवाएं शीतल मन सो के उठा दोपहरी में तो बोला भाई चलो रिमिडियल पर ! एहसास नवोदय का जब जब मुझको हो जाता है मेरे अंदर का रोम रोम फूला नहीं समाता है मैं यूं ही हंसता रहता हूं बेवजह ही खुश रहता हूं कोई पूछे क्या हुआ तब मैं ये कहता हूं अरे,उसकी याद आई है खिड़की खोलो शायद बारिश आई है फिर देखा झड़ते पत्तो को टूट रहे थे सूख रहे थे याद नवोदय की आई अब मेरे आंसू छूट रहे थे ।। ©Vimal Gupta

People who shared love close

More like this

Trending Topic