इतने नक़ाब ओढ़ कर, बैठा है आदमी। किस को कहूँ कि यार | हिंदी Shayari

"इतने नक़ाब ओढ़ कर, बैठा है आदमी। किस को कहूँ कि यार ये, अच्छा है आदमी। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र"

 इतने नक़ाब ओढ़ कर, बैठा है आदमी।
किस को कहूँ कि यार ये, अच्छा है आदमी।

©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

इतने नक़ाब ओढ़ कर, बैठा है आदमी। किस को कहूँ कि यार ये, अच्छा है आदमी। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र

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#कविता_संगम

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