"न मैंने तुझसे माँग की तेरी दोस्ती की
न तूने मुझसे माँग की मेरी दोस्ती की।।
पर हमारी दोस्ती में दोस्त तुझे मेरा
मुझे तेरा साथ हर पल पसंद आता है।।
न सौदा करना था मुझे तुझसे
न तूने मुझे कोई कीमत देनी थी।।
पर दोस्ती की किताब में मुझे तेरा
और मेरा नाम हर बार साथ नज़र आता है।।
यूँ तो रोज रोज मेरे लफ्ज़ों का खज़ाना खत्म
हो जाता है तेरी तारीफ में
और तेरी तारीफ में लिखा हर हरफ़ रोज रोज
नया नज़र आता है।।"