कभी जुगनुओं की क़तारों में ढूंडा
चमकते हुए चांद-तारों में ढूंडा
ख़जाओं में ढूंडा, बहारों में ढूंडा
मचलते हुए आबसारों में ढूंडा
हक़ीकत में देखा, फंसाने में देखा
न तुम सा हंसी, इस ज़माने देखा
न दुनिया की रंगीन महफिल में पाया
जो पाया तुम्हें अपना ही दिल में पाया
एक ऐसी मसर्रत हो तुम...
बहुत ख़ूब-सूरत हो तुम...
बहुत ख़ूब-सूरत हो तुम... #Mera_Pyar