रात का रंग अपने कामिल शबाब पर था मैं भी आगोश की | हिंदी Shayari Video

"रात का रंग अपने कामिल शबाब पर था मैं भी आगोश की चादर ओढ़े तेरे साथ अपना वक्त बिताकर बस दिल-बस्तगी कर रहा था मैं चाहता तो था, ये रंग कभी गुम न हो लेकिन तुझे देखते-देखते पता नहीं कब ये हसीन रात-ए-क़मर ओझल हो गई ©Viraaj Sisodiya "

रात का रंग अपने कामिल शबाब पर था मैं भी आगोश की चादर ओढ़े तेरे साथ अपना वक्त बिताकर बस दिल-बस्तगी कर रहा था मैं चाहता तो था, ये रंग कभी गुम न हो लेकिन तुझे देखते-देखते पता नहीं कब ये हसीन रात-ए-क़मर ओझल हो गई ©Viraaj Sisodiya

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