भले ही अब वो,है किसी और के साथ मगर कभी थामा था,उसन | हिंदी Shayari

"भले ही अब वो,है किसी और के साथ मगर कभी थामा था,उसने मेरा भी हाथ उस प्यार ऐ-दास्ताँ के उस गुलिस्तां को,बेबफा कहना बुरा होगा। बेबफा तो तब कहूंगा,जब वो इस,दुनियां से जुदा होगा। कि- साथ रहने की खाई तो थी,कसमें हमनें उसके दिल में प्यार बहुत है आखिर किया जो था हमनें अभी बेहिसाब वक़्त है,उसे बेबफा कहने में क्योंकि कोई फर्क़ नहीं हैं उसके दिल में प्यार कमने और मेरे मरने में ✍️-(suyash jain)"

 भले ही अब वो,है किसी और के साथ
मगर कभी थामा था,उसने मेरा भी हाथ
उस प्यार ऐ-दास्ताँ के
उस गुलिस्तां को,बेबफा कहना बुरा होगा।
बेबफा तो तब कहूंगा,जब वो इस,दुनियां से जुदा होगा।
कि-
साथ रहने की खाई तो थी,कसमें हमनें
उसके दिल में प्यार बहुत है
आखिर किया जो था हमनें
अभी बेहिसाब वक़्त है,उसे बेबफा कहने में
क्योंकि कोई फर्क़ नहीं हैं
उसके दिल में प्यार कमने और मेरे मरने में
✍️-(suyash jain)

भले ही अब वो,है किसी और के साथ मगर कभी थामा था,उसने मेरा भी हाथ उस प्यार ऐ-दास्ताँ के उस गुलिस्तां को,बेबफा कहना बुरा होगा। बेबफा तो तब कहूंगा,जब वो इस,दुनियां से जुदा होगा। कि- साथ रहने की खाई तो थी,कसमें हमनें उसके दिल में प्यार बहुत है आखिर किया जो था हमनें अभी बेहिसाब वक़्त है,उसे बेबफा कहने में क्योंकि कोई फर्क़ नहीं हैं उसके दिल में प्यार कमने और मेरे मरने में ✍️-(suyash jain)

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